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फुलेरा दूज : राधा कृष्ण करेंगे प्रेम की बारिश, जानिए सरल पूजा विधि के बारे में

नमस्कार दोस्तों, यह त्यौहार हिंदी कैलेंडर के अंतिम माह फाल्गुन की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है| इसे रंगो का त्यौहार भी कहते है| यह त्यौहार बसंत पंचमी और होली के बीच मनाया जाता है|



फुलेरा दूज श्री राधा कृष्ण के मिलन का प्रतीक है| श्री राधा कृष्ण का प्रेम फाल्गुन माह में चरम में था इसलिए फुलेरा दूज को राधा कृष्ण के मिलन की तिथि के रूप में भी मनाया जाता है|
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार फुलेरा दूज को दोषमुक्त दिन के रूप में पूजा जाता है| इस दिन हर क्षण बहुत ही शुभ होता है| इस दिन किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त नहीं देखा जाता है| खासतौर से यह दिन विवाह के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है| यदि कोई व्यक्ति नया कार्य शुरू करना चाहता है तो इस दिन नए कार्य की शुरुआत करना सबसे उपयुक्त रहेगा|
इस त्यौहार से लोग होली के रंगो की शुरुआत कर देते है| इस दिन घर पर होली रखना भी शुरू करते है| इसे फूलों का त्यौहार भी कहते है| फाल्गुन माह में कई सुन्दर और सुगन्धित फूलों का आगमन होता है, इसलिए इस दिन राधा कृष्ण को या उनके मंदिर को फूलों से सजाते है और साथ ही साथ फूलों की होली भी खेलते है| इस त्यौहार पर लोग एक दूसरे के गुलाल लगाकर गले मिलते है|
इस त्यौहार में अपना वैवाहिक जीवन एवं प्रेम सम्बन्धो को अच्छा करने के लिए राधा कृष्ण की विधिवत पूजा करते है| फुलेरा दूज की पूजा शाम को करना अति शुभ फलदायी होता है|
पूजा विधि -
  • इस दिन शाम को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए|
  • राधा कृष्ण को सुन्दर और सुगन्घित फूलों से सजाना चाहिए|
  • इसके बाद राधा कृष्ण को इत्र एवं सुगन्धित अबीर व गुलाल अर्पित करना चाहिए|
  • पूजा में सुहाग की सामग्री व श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए|
  • राधा कृष्ण को पीली या सफ़ेद मिठाई व मिश्री का भोग लगाए|
  • इसके बाद राधा कृष्ण के नाम का जाप करें|
  • तत्पश्चात धूप, दीप जलाये आरती करें व राधा कृष्ण का भजन कीर्तन करें|
  • फुलेरा दूज में दान करना अति आवश्यक है, इस दिन श्रृंगार की वस्तुए किसी सुहागिन महिला को दान करना अति उत्तम होगा|
इससे राधा कृष्ण के आशीर्वाद से आपका वैवाहिक जीवन व प्रेम संबंधो में हमेशा मधुरता रहेगी|